आज जापान में भूकंप आया है और इस से उसके पास के कई देशो को खतरा है भूकंप के बाद सुनामी भी. सुनामी में घर, जहाज और गढ़िया पानी में कचरे की तरह बहती दिख रही है इन्शानो का तो पता ही नहीं चल रहा ...जानकारों के मुताबित इंडिया को इस से कोई खतरा नहीं है इस पृथ्वी में इतने आत्याचार हो रहे है की वह इसका बोझ नहीं उठा पा रही ..अब जाने क्या होगा ......
ये सदी का सबसे बड़ा भूकंप था इस से पहले इतना बड़ा भूकंप कभी नहीं आया ...8.9 .earthquake ...अरे इन्शानो प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो .नहीं तो आज जो जापान में हुआ है ....भगवन न करे हमारे साथ भी हो .......मुझे अच्छी तरह से याद है जब इंडिया में भूकंप आया था में उस समय सतमी क्लास में पढता था में छत में सोया था गर्मी के दिन थे सुबह करीब पांच बजे के लग भाग भूकंप आया था ऐसा लग रहा था जैसे गोल गोल घुमाने के बाद रुकने में लगता है पूरी पृथ्वी घुमती नजर अति है लगता है हम गिर जायेगे पुर जब आप जमीं में बैठ जाते है तो पूरी जमीं घुमाने लगती है ... में जिस बिस्तर में सो रहा था जब भूकंप के बाद में उठा तो मेने देखा की मेरे बिस्तर में मेरे बगल में घर के छत के खपड पड़े थे अच हुआ की वो मेरे सिर में नहीं गिरे नहीं तो मेरे गहरी चोट लग सकती थी...इंडिया में एक बार सुनामी भी आया था जिससे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी ..और महगाई हो गई ..सुनामी या भूकंप आने से कितना भी संपन देश क्यों न हो उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ ही जाती है ... अब वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया ख़त्म हो जाये गी ..अगर इसी तरह से इन्शान प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता रहा तो ...हमें जरुरत है की हम अपने प्रकृति के बयाने हुए चीजो को हनी न पहुचाये .पेड़ .पोधे ,जंगल नष्ट न करे ...उन्नै और बढ़ाये उनकी देख भाल करे..इतना भयानक था आज का जापान में भूकंप ......
.आज का इन्शान कितना भी बढ़ा क्यों न बन जाये मगर वह प्रकृति के इतने भयानक प्रकोप से नहीं बच सकता ....जब कुछ नहीं बचे गा तो आप बढे बन कर क्या करो गे और खुद भी नहीं बचोगे एस लिए कहते है उतना ही कमाओ जितने में कम चल जाये ...धन एकाठा करने से इन्शान बढ़ा नहीं होता..दिल बढ़ा होना चाहिए ........
ये सदी का सबसे बड़ा भूकंप था इस से पहले इतना बड़ा भूकंप कभी नहीं आया ...8.9 .earthquake ...अरे इन्शानो प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो .नहीं तो आज जो जापान में हुआ है ....भगवन न करे हमारे साथ भी हो .......मुझे अच्छी तरह से याद है जब इंडिया में भूकंप आया था में उस समय सतमी क्लास में पढता था में छत में सोया था गर्मी के दिन थे सुबह करीब पांच बजे के लग भाग भूकंप आया था ऐसा लग रहा था जैसे गोल गोल घुमाने के बाद रुकने में लगता है पूरी पृथ्वी घुमती नजर अति है लगता है हम गिर जायेगे पुर जब आप जमीं में बैठ जाते है तो पूरी जमीं घुमाने लगती है ... में जिस बिस्तर में सो रहा था जब भूकंप के बाद में उठा तो मेने देखा की मेरे बिस्तर में मेरे बगल में घर के छत के खपड पड़े थे अच हुआ की वो मेरे सिर में नहीं गिरे नहीं तो मेरे गहरी चोट लग सकती थी...इंडिया में एक बार सुनामी भी आया था जिससे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी ..और महगाई हो गई ..सुनामी या भूकंप आने से कितना भी संपन देश क्यों न हो उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ ही जाती है ... अब वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया ख़त्म हो जाये गी ..अगर इसी तरह से इन्शान प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता रहा तो ...हमें जरुरत है की हम अपने प्रकृति के बयाने हुए चीजो को हनी न पहुचाये .पेड़ .पोधे ,जंगल नष्ट न करे ...उन्नै और बढ़ाये उनकी देख भाल करे..इतना भयानक था आज का जापान में भूकंप ......
.आज का इन्शान कितना भी बढ़ा क्यों न बन जाये मगर वह प्रकृति के इतने भयानक प्रकोप से नहीं बच सकता ....जब कुछ नहीं बचे गा तो आप बढे बन कर क्या करो गे और खुद भी नहीं बचोगे एस लिए कहते है उतना ही कमाओ जितने में कम चल जाये ...धन एकाठा करने से इन्शान बढ़ा नहीं होता..दिल बढ़ा होना चाहिए ........
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