Engineers Day is observed every year on 15th September in India. On this day Sir Mokshagundam Visvesvarayya was born who was an eminent engineer from Pune University who is famous for designing and building dams in Maharashtra. Every year engineers from all over India celebrates this auspicious day through meets and events. It has become a vogue to send sms and greeting messages to fellow engineers.
Wednesday, September 14, 2011
Wednesday, March 16, 2011
Friday, March 11, 2011
प्रकृति का प्रकोप
आज जापान में भूकंप आया है और इस से उसके पास के कई देशो को खतरा है भूकंप के बाद सुनामी भी. सुनामी में घर, जहाज और गढ़िया पानी में कचरे की तरह बहती दिख रही है इन्शानो का तो पता ही नहीं चल रहा ...जानकारों के मुताबित इंडिया को इस से कोई खतरा नहीं है इस पृथ्वी में इतने आत्याचार हो रहे है की वह इसका बोझ नहीं उठा पा रही ..अब जाने क्या होगा ......

ये सदी का सबसे बड़ा भूकंप था इस से पहले इतना बड़ा भूकंप कभी नहीं आया ...8.9 .earthquake ...अरे इन्शानो प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो .नहीं तो आज जो जापान में हुआ है ....भगवन न करे हमारे साथ भी हो .......मुझे अच्छी तरह से याद है जब इंडिया में भूकंप आया था में उस समय सतमी क्लास में पढता था में छत में सोया था गर्मी के दिन थे सुबह करीब पांच बजे के लग भाग भूकंप आया था ऐसा लग रहा था जैसे गोल गोल घुमाने के बाद रुकने में लगता है पूरी पृथ्वी घुमती नजर अति है लगता है हम गिर जायेगे पुर जब आप जमीं में बैठ जाते है तो पूरी जमीं घुमाने लगती है ... में जिस बिस्तर में सो रहा था जब भूकंप के बाद में उठा तो मेने देखा की मेरे बिस्तर में मेरे बगल में घर के छत के खपड पड़े थे अच हुआ की वो मेरे सिर में नहीं गिरे नहीं तो मेरे गहरी चोट लग सकती थी...इंडिया में एक बार सुनामी भी आया था जिससे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी ..और महगाई हो गई ..सुनामी या भूकंप आने से कितना भी संपन देश क्यों न हो उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ ही जाती है ... अब वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया ख़त्म हो जाये गी ..अगर इसी तरह से इन्शान प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता रहा तो ...हमें जरुरत है की हम अपने प्रकृति के बयाने हुए चीजो को हनी न पहुचाये .पेड़ .पोधे ,जंगल नष्ट न करे ...उन्नै और बढ़ाये उनकी देख भाल करे..इतना भयानक था आज का जापान में भूकंप ......
.आज का इन्शान कितना भी बढ़ा क्यों न बन जाये मगर वह प्रकृति के इतने भयानक प्रकोप से नहीं बच सकता ....जब कुछ नहीं बचे गा तो आप बढे बन कर क्या करो गे और खुद भी नहीं बचोगे एस लिए कहते है उतना ही कमाओ जितने में कम चल जाये ...धन एकाठा करने से इन्शान बढ़ा नहीं होता..दिल बढ़ा होना चाहिए ........

ये सदी का सबसे बड़ा भूकंप था इस से पहले इतना बड़ा भूकंप कभी नहीं आया ...8.9 .earthquake ...अरे इन्शानो प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो .नहीं तो आज जो जापान में हुआ है ....भगवन न करे हमारे साथ भी हो .......मुझे अच्छी तरह से याद है जब इंडिया में भूकंप आया था में उस समय सतमी क्लास में पढता था में छत में सोया था गर्मी के दिन थे सुबह करीब पांच बजे के लग भाग भूकंप आया था ऐसा लग रहा था जैसे गोल गोल घुमाने के बाद रुकने में लगता है पूरी पृथ्वी घुमती नजर अति है लगता है हम गिर जायेगे पुर जब आप जमीं में बैठ जाते है तो पूरी जमीं घुमाने लगती है ... में जिस बिस्तर में सो रहा था जब भूकंप के बाद में उठा तो मेने देखा की मेरे बिस्तर में मेरे बगल में घर के छत के खपड पड़े थे अच हुआ की वो मेरे सिर में नहीं गिरे नहीं तो मेरे गहरी चोट लग सकती थी...इंडिया में एक बार सुनामी भी आया था जिससे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी ..और महगाई हो गई ..सुनामी या भूकंप आने से कितना भी संपन देश क्यों न हो उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ ही जाती है ... अब वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया ख़त्म हो जाये गी ..अगर इसी तरह से इन्शान प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता रहा तो ...हमें जरुरत है की हम अपने प्रकृति के बयाने हुए चीजो को हनी न पहुचाये .पेड़ .पोधे ,जंगल नष्ट न करे ...उन्नै और बढ़ाये उनकी देख भाल करे..इतना भयानक था आज का जापान में भूकंप ......
.आज का इन्शान कितना भी बढ़ा क्यों न बन जाये मगर वह प्रकृति के इतने भयानक प्रकोप से नहीं बच सकता ....जब कुछ नहीं बचे गा तो आप बढे बन कर क्या करो गे और खुद भी नहीं बचोगे एस लिए कहते है उतना ही कमाओ जितने में कम चल जाये ...धन एकाठा करने से इन्शान बढ़ा नहीं होता..दिल बढ़ा होना चाहिए ........
Thursday, February 24, 2011
कलम थी हाथ में, लिखना सिखाया आपने
कलम थी हाथ में, लिखना सिखाया आपने, ताकत थी हाथ में, हौसला दिलाया आपने, मंजिल थी सामने, रास्ता दिखाया आपने, हम तो अजनबी थे, दोस्त बनाया आपने। दुनिया बदल जाए, तुम न बदलना, मुश्किलों में हो जब भी, याद हमें कर लेना. मांगे भी आपसे तो क्या मांगे, देना कुछ चाहो तो बस मुस्कुरा देना। रहने दे आसमा, जमीं की तलाश कर, सब कुछ यहीं है न कहीं और तलाश कर। हर आरजू पूरी हो तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिए बस एक कमी की तलाश कर। तुम्हे लाखो की भीड़ में पहचानता है कोई, दिन रात खुदा से तुम्हे मांगता है कोई, तुम ख़ुद से वाकिफ नही होंगे इतने, तुम्हे तुमसे भी ज़्यादा जानता है कोई। आंसुओ को बहुत समझाया, तन्हाई में आया न करो, महफिल में हमारा मज़ाक उड़ाया न करो, इसपर आँसू तड़प कर बोले... इतने लोगो में आपको तनहा पाता हूँ, इसीलिए चला आता हूँ। रौशनी होते हुए भी दिल में अँधेरा है, इन अंधेरो में किसी का बसेरा है, आना कभी रोशन करना हमारी महफिल को, देखना दिल की हर दिवार पे नाम तेरा है। ज़ख्म इतने गहरे थे, इज़हार क्या करते, हम ख़ुद निशाना बन गए, वार क्या करते, मर गए हम मगर खुली रही आँखें, अब इससे ज्यादा उनका इन्तिज़ार क्या करते.............................../////
College

Agar ap ko know na ho to class me teacher ke samne jada style nahi dikhani chahiye....ku ki fist imprecation hi last imprecation hota hai agar ak bar bigad gai to phir kuch bhi kar lo kuch nahi ho sakta....aj ak ladhka sir padha rahe the our voh piche baithe baat kar raha tha ,.....sir ne use khada kar diya our kuch pucha to nahi bata paya sir bole pahli bar class me aye ho kya ...bathane ka tarika tak nahi pata hai ki kaise baithate hai class me our sir use class me sab se aage khada kar diya vohhhh pure piriyat class me sabse age khada raha our sir padhate rahe....Esme sab se achi bat ye thi ki us din ladhke ka college me pahla din tha,.....tabhi to vo yesi harkat kar raha tha agar usne pahle bhi class atend kiya hota to use pata hota ki class me kaise baithate hai......
Monday, February 21, 2011
Intajar
मत इंतज़ार कराओ हमे इतना, कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये, क्या पता कल तुम लौटकर आओ, और हम खामोश हो जाएँ, दूरियों से फर्क पड़ता नहीं, बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है, दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है, वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है, दिल से खेलना हमे आता नहीं, इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए, शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें, इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए, मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,, जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।, नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,, थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।, लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,, कोई करता है तो इल्जाम देते है।, कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,, और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।, भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,, हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,, बात कहके तो कोई भी समझलेता है,, पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है…!, मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,,उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,, दोस्त को रोज याद करना पड़ता है, क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं हो, मत इंतज़ार कराओ हमे इतना, कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये, क्या पता कल तुम लौटकर आओ, और हम खामोश हो जाएँ, दूरियों से फर्क पड़ता नहीं, बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है, दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है, वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है, दिल से खेलना हमे आता नहीं, इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए, शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें, इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए, मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,, जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।, नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।, लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,, कोई करता है तो इल्जाम देते है।, कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,, और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।, भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,, हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,, बात कहके तो कोई भी समझलेता है,, पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है…!, मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,, उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,,दोस्त को रोज याद करना पड़ता है, क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं हो..........................
Ab Kya Baki Raha
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी है !! इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !! वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श कहाँ अब बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !! वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !! अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब कहाँ अब बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !! लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !! अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार कहाँ अब बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !! वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श कहाँ अब बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !! वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !! अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब कहाँ अब बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !! लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !! अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार कहाँ अब बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी
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hamne kaha nhi suna hai erade ho majbut to kitni bhi ho muskile kitne bhi badhye ho sapne unnhe sach to hona hi hai aaaj nhi to kal sahi, k...
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IPL 5 me bhi dhoni ne bata diya ki me hi hu jo team India ho ya me kisi bhi team ka captain rahu har nhi manuga..suruwat achi na rahe to na...