अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी है !! इक दिल था सो वो टूट गया, अब टूटने को क्या बाकी है !!
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !! वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श कहाँ अब बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !! वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !! अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब कहाँ अब बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !! लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !! अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार कहाँ अब बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी
इक शक्स को हम ने चाहा था, इक रेत पे नक्श बनाया था !! वो रेत तो कब कि बिखर चुकी, वो नक्श कहाँ अब बाकी है !!
जो सपने हमने देखे थे काग़ज़ पर सारे लिख डाले !! वो सारे काग़ज़ फिर हम ने दरिया के हवाले कर डाले !!
वो सारे ख्वाब बहा डाले, वो सारे नक्श मिटा डाले !! अब ज़हां है खाली नक्शों का, कोई ख्वाब कहाँ अब बाकी है !!
हम जिनको अपनी नज़मो का, लफ्ज बनाया करते थे !! लफ्जों का बना कर ताजमहल, काग़ज़ पर सजाया करते थे !!
वो हम को अकेला छोड़ गए, सब रिश्तों से मुंह मोड़ गए !! अब रास्ते सारे सूने हैं, वो प्यार कहाँ अब बाकी है !!
अब क्या लिखें हम कागज़ पर, अब लिखने को क्या बाकी
No comments:
Post a Comment